Here are 10 important points about the renowned poet, philosopher, and Nobel laureate

Rabindranath Tagore

By Fern Greenthumb January 31, 2020

रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 1861 में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, देवेन्द्रनाथ टैगोर, 18वीं शताब्दी के मध्य में बंगाल के एक धार्मिक संप्रदाय, ब्रह्म समाज के नेता थे।

Birth and Family 

By Fern Greenthumb January 31, 2020

17 साल की उम्र में टैगोर ने अपनी स्कूली शिक्षा इंग्लैंड में शुरू की। अपने परिवार की वित्तीय स्थिरता के बावजूद, उनके विचार दलित और कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की ओर झुके हुए थे।

Education in England 

टैगोर न केवल एक कवि थे बल्कि एक कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, स्तंभकार और निबंधकार भी थे। उनके साहित्यिक कार्यों ने भारतीय संस्कृति को दुनिया से परिचित कराया।

Multifaceted Talent 

1913 में, रवीन्द्रनाथ टैगोर "गीतांजलि" नामक कविता संग्रह के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने।

Nobel Prize 

टैगोर का प्रभाव साहित्य से परे भी फैला। उन्होंने भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के राष्ट्रगान की रचना की।

National Anthems (राष्ट्रगान) 

उनके लेखन ने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में बंगाली संस्कृति को बहुत प्रभावित किया।

Impact on Bengali Culture 

प्यार से गुरुदेव, कविगुरु और बिस्वाकाबी के नाम से जाने जाने वाले टैगोर के गीत, जो रवीन्द्रसंगीत के नाम से लोकप्रिय हैं, दुनिया भर में गूंजते रहते हैं।

Gurudev and Biswakabi 

टैगोर की अधिकांश साहित्यिक रचनाएँ सामाजिक और सामाजिक मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमती हैं, जिन्होंने भारतीय समाज पर स्थायी प्रभाव छोड़ा। 

Social and Societal Issues 

आज भी, 19वीं शताब्दी में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा किए गए साहित्यिक और सामाजिक योगदान भारत के लाखों लेखकों और कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हैं।

Legacy 

7 अगस्त, 1941 को 80 वर्ष की आयु में रवींद्रनाथ टैगोर का निधन हो गया, और अपने पीछे एक ऐसी विरासत छोड़ गए जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है।

End of an Era