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Expectations from Union Budget 2025 – केंद्रीय बजट 2025 की अपेक्षाएँ

केंद्रीय बजट 2025 की प्रस्तुति नजदीक है, और देशभर में इसके संभावित प्रभावों को लेकर उत्सुकता बढ़ रही है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को सुबह 11 बजे संसद में अपना आठवां बजट पेश करेंगी। livehindustan.com

बजट 2025 से अपेक्षाएं:

  • आयकर में राहत: मध्यम वर्ग के लिए आयकर स्लैब में बदलाव की उम्मीदें हैं। लोगों को आशा है कि कर-मुक्त आय की सीमा बढ़ाई जाएगी, जिससे उनकी क्रय शक्ति में वृद्धि हो सके।navbharattimes.indiatimes.com

  • महंगाई पर नियंत्रण: बढ़ती महंगाई के मद्देनजर, सरकार से उम्मीद है कि वह आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाएगी, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।

  • रोजगार सृजन: देश में बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए, बजट में नए रोजगार अवसरों के सृजन के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की उम्मीद की जा रही है।

  • कृषि क्षेत्र का समर्थन: किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए, सरकार से उम्मीद है कि वह नई योजनाओं और सब्सिडी की घोषणा करेगी।

  • स्वास्थ्य और शिक्षा: स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए बजट में अधिक आवंटन की अपेक्षा की जा रही है।

बजट 2025 की प्रमुख चुनौतियाँ:

  1. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं:

    • राजकोषीय घाटा: महामारी के बाद की आर्थिक स्थिति में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती होगी।

    • वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता: अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण आर्थिक नीतियों को संतुलित करना आवश्यक होगा।

    • सामाजिक कल्याण: गरीबी उन्मूलन और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करना।

बजट 2025 के संभावित प्रभाव:

  • उद्योग और व्यापार: टैक्स नीतियों में बदलाव से विभिन्न उद्योगों पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उनकी उत्पादन लागत और लाभप्रदता प्रभावित होगी।

  • निवेश: सरकार की नीतियों के आधार पर घरेलू और विदेशी निवेश में वृद्धि या कमी हो सकती है।

  • सामाजिक क्षेत्र: स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लिए आवंटित धनराशि से इन क्षेत्रों में सुधार की संभावनाएँ बढ़ेंगी।

निष्कर्ष

बजट 2025 से जनता को कई उम्मीदें हैं। सरकार के सामने आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने की चुनौती है। आने वाला बजट देश की आर्थिक दिशा को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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